कुम्भ मेला: 2000 साल से नहीं बदली परम्पराएँ

कुंभ मेला चार प्रमुख नदी तट तीर्थ स्थलों पर मनाया जाता है -प्रयागराज (गंगा, यमुना ) -हरिद्वार (गंगा) -नासिक (गोदावरी) -उज्जैन (शिप्रा)

कुंभ मेले में संतों द्वारा धार्मिक प्रवचन दिए जाते हैं, और भिक्षुओं और गरीबों के लिए सामूहिक भोजन किया जाता है।

माना जाता है कि इस त्योहार की शुरुआत 8वीं सदी के हिंदू दार्शनिक और संत श्री आदि शंकर: ने की थी।

प्रयाग और हरिद्वार कुंभ मेले 6 साल के अंतराल में होता है। इन दोनों स्थलों में एक महा (प्रमुख) और अर्ध (आधा) कुंभ मेले हैं

दुनिया का सबसे बड़ा जमावड़ा  प्रयाग कुंभ मेले में और दूसरी सबसे बड़ा हरिद्वार में आयोजित की जाता है।

कुम्भ शब्द चारों वेदों में पाया जाता है। इसका मतलब होता है "मटका"

कुंभ मेला वैदिक ग्रंथों में पाए जाने वाले समुद्र मंथन से संबंधित है।

अमरता के अमृत वाले मटके के लिए देवता और असुरों में लड़ाई हुई थी 

वो मटका टूट गया और धरती पे चार जगह उसका अमृत गिर गया। 

इसलिए कुम्भ चार नगरों में होता है 

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