क्यूँ मनाते हैं पित्र-पक्ष या श्राध?
क्या है मान्यताएँ ?
पितृ पक्ष या श्राद्ध हिंदू धर्म में एक ऐसी अवधि है जिसमें हम अपने पूर्वजों का आभार व्यक्त करते हैं
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष 16 चंद्र दिवस की अवधि है, जिसके दौरान हम अपने पूर्वजों को भोजन प्रसाद के माध्यम से श्रद्धांजलि देते हैं।
इस अवधि को पितृ पक्ष, सोल श्राद्ध, जितिया, महालय पक्ष और अपरा पक्ष के नाम से भी जाना जाता है।
श्राद्ध का अंतिम दिन सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है और इसे महालय अमावस्या के नाम से जाना जाता है
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष अनुष्ठान करने से पूरे परिवार को उनके पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है
हालांकि, इस अवधि को बहुत ही अशुभ माना जाता है और इन दिनों कोई भी नई गतिविधि शुरू नहीं की जाती है।
हिंदू धर्म के अनुसार, किसी के पूर्वज की आख़री तीन पीढ़ियों की आत्माएं
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पितृ-लोक
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में निवास करती हैं, जो स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का क्षेत्र है।
ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध की शुरुआत में आत्माएं पितृ-लोक को छोड़कर एक महीने तक वंशजों के घरों में रहती हैं
इसीलए हिंदुओं से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने पूर्वजों को प्रार्थना और भोजन देकर उन्हें श्रद्धांजलि दें।
पित्र-पक्ष और महाभारत के बीच के सम्बंध को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पे क्लिक करें
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