ययाति की कहानी जीवन का एक अनोखा सबक़ देती है 

ययाति की पत्नी देवयानी थी, जो एक ब्राह्मण की पुत्री थी

देवयानी को ययाति के शर्मिष्ठा के साथ संबंध के बारे में पता चला और उसने अपने पिता शुक्राचार्य से शिकायत की

देवयानी ने दो पुत्रों को जन्म दिया जबकि शर्मिष्ठा ने तीन पुत्रों को जन्म दिया।

शुक्राचार्य अपने दामाद से क्रोधित हो गए और उसे समय से पहले बूढ़ा होने का श्राप दिया,

उसने ययाति से कहा कि वह शाप से बच सकता यदि उसका कोई भी पुत्र उसके साथ अपनी आयु का आदान-प्रदान करे

सबसे छोटे पुरु, जो शर्मिष्ठा का पुत्र था, इस आदान-प्रदान के  लिए तैयार हो गया 

ययाति पूरे हजार वर्षों तक सभी कामुक सुखों का आनंद लेता रहा।

इस अनुभव ने ययाति समझ गया कि सभी सुख अनियंत्रित इच्छाओं वाले मनुष्य को संतुष्ट नहीं कर सकते

ययाति ने ज्ञान पा कर अपने पुत्र पुरु की जवानी लौटा दी और बदले में अपना बुढ़ापा वापस ले लिया

यह हमें सिखाता है कि सच्चा सुख आध्यात्मिक मार्ग पर चलकर और ईश्वर की भक्ति से ही प्राप्त किया जा सकता है।

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